Saturday 3 January 2015

मुसाफिर

    "नगरी  नगरी फिरा मुसाफिर घर का रस्ता भूल गया
क्या तेरा क्या मेरा है, अपना पराया भूल गया"

"अपनी बीती जग बीती ,जब से दिल ने जान लिया
हस्ते हस्ते जीवन बीता रोना धोना भूल गया "

"कोई कहे ये किसने कहा था कह दो जो कुछ जी में है 
   सदफ कह कर पछताया और फिर कहना भूल गया "