Saturday 31 August 2013

सफ़र


"सफ़र में धूप भी होगी चल सको तो चलो 
सभी है भीड़ में तुमभी निकल सको तो चलो" 

"किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती है 
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो" 

"यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सभल सको तो चलो" 

"यही है ज़िन्दगी कुछ ख्वाब कुछ उम्मीदें 
इन्ही खिलोनों से तुम भी बहल सको तो चलो "

safar me dhoop to hogi jo chal sako to chalo
    sabhi hai bheed me tum bhi nikal sako to chalo 

kisi ke vaasate rahen kahan badalati hain
      tum apne aap ko Khud hi badal sako to chalo 

yahan kisi ko koi raasta nahi deta
                  mujhe girake agar tum sambhal sako to chalo 

    yahi hai zindagi kuchh Khvaab chand ummeeden
inhee khilauono se tum bhi bahal sako to chalo 









Tuesday 27 August 2013

HAPPY ANNIVERSARY OF SHAM-E-GHAZAL BLOG.



"ब्लॉग शामे ग़ज़ल के एक साल पूरे होने(ANNIVERSARY) पर हम
 अपने सभी कद्रदान का शुक्रिया अदा करते है"

ON COMPLETING FIRST ANNIVERSARY OF MY BLOG 

SHAM-E- GHAZAL,I WANT TO THANKS TO ALL MY VIEWERS WHO LIKE AND APPRECIATE AND GIVE THEIR VALUABLE SUPPORT TO MY BLOG.KEEP WATCHING.

  

Wednesday 21 August 2013

उम्मीद


"क्या उम्मीद करे हम उनसे जिनको वफ़ा मालूम नहीं, 
ग़म देना मालूम है ग़म की दवा मालूम नहीं"

"जिन की गली में उम्र गवा दी जीवन भर हैरा रहे,
पास भी आके पास न आए जान के भी अनजान रहे, 
कौन सी हमने की थी ऐसी खता मालूम नहीं "

"ऐ मेरे पागल अरमानो झूठे बंधन तोड़ भी दो,
ऐ मेरी ज़ख़्मी उम्मीदों दिल का दामन छोड़ भी दो,
तुम को अभी इस नगरी में जीने की सजा मालूम  नहीं"    






Saturday 10 August 2013

एहसान


"मै न हिन्दू न मुसलमान मुझे जीने दो 
दोस्ती है मेरा ईमान मुझे जीने दो "

"कोई एहसान न करो मुझ पे तो एहसान होगा
सिर्फ इतना करो एहसान मुझे जीने दो "

"सब के दुःख दर्द को अपना समझ कर जीना 
बस यही है मेरा अरमान मुझे जीने दो "  



















Saturday 3 August 2013

मौसम


"मौसम को इशारे से बुला क्यूँ नहीं लेते 
रूठा है अगर वो तो बुला क्यूँ नहीं लेते "

"दीवाना तुम्हारा कोई गैर नहीं है 
मचला भी तो सीने से लगा क्यों नहीं लेते" 

"ख़त लिखकर कभी और कभी ख़त को जलाकर 
तन्हाई को रंगीन बना क्यूँ नहीं लेते"

"तुम जाग रही हो मुझे अच्छा नहीं लगता 
चुपके से मेरी नींद चुरा क्यूँ नहीं लेते"


mausam ko isharo se bula kyun nahi lete 
rootha hai agar vo to mana kyun nahi lete 

deevana tumhara koi Gair nahi hai
machla bhi to seene se laga kyun nahi lete 

Khat likh kar kabhi aur kabhi Khat ko jalaakar 
tanhaee ko rangin bana kyun nahi lete 

tum jaag rahe ho mujhe achchha nahi lagta 
chupke se meri neend chura kyun nahi lete