Thursday 23 May 2013

इलज़ाम


"तू कही भी रहे सर पे तेरे इलज़ाम तो है 
तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम तो है"

"मुझको तू अपना बना या न बना तेरी ख़ुशी 
तू ज़माने में मेरे नाम से बदनाम तो है" 

देख कर लोग मुझे नाम तेरा लेते हैं 
इस पे  मैं खुश हूँ मोहब्बत का ये अंजाम तो है"  


       





Sunday 12 May 2013

रंग


"दोस्त बन बन कर मिले मुझको मिटाने वाले 
मैंने देखे है कई रंग बदलने वाले" 

"तुमने चुप रहकर सितम और भी ढाया मुझ पर

तुमसे अच्छे है मेरे हाल पे हसने वाले"

"मै  तो एखलाक के हाथों ही बिका करता हूँ 

और होंगे तेरे बाज़ार में बिकने वाले"










Saturday 4 May 2013

बेरुखी


"खुदा के वास्ते अब बेरुखी से काम न ले 
तड़प के फिर कोई दामन  को तेरे थाम न ले "

"ज़माने भर में है चर्चा मेरी तबाही के 

मैं डर रहा हूँ कहीं कोई तुम्हारा नाम न ले"

"मिटा दो शौक से मुझको मगर कही तुमसे 

ज़माना मेरी तबाही का इंतिकाम न ले"

"जिसे तू देख ले इक बार मस्त नज़रों से 

वो उम्र भर कभी हाथों में अपने जाम न ले" 














Thursday 2 May 2013

महफ़िल


"कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को 
न जाने कैसे खबर हो गयी ज़माने को" 

"सुना है गैर की महफ़िल में तुम न जाओगे 
कहो तो आज सजा लूं ग़रीब खाने को "

"दुआ बहार की मांगी तो इतने फूल खिले 
कही जगह न मिली मेरे आशियाने को "

"दबा के चल दिए सब कब्र में दुआ न सलाम 
ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को"