Sunday 27 March 2016

फासले



   "फासले कभी ऐसे भी होंगे मैंने सोचा न था,
     सामने बैठा था मेरे फिर भी वो मेरा न था"  

  
    "वो की खुशबू की तरह फैला था मेरे चारो ओर  
        मैं  उसे महसूस कर सकता था अपने आस पास " 

    "आज उसने दर्द भी अपने मुझसे अलग कर लिए 
       आज मैं रोया तो मेरे साथ वो रोया न था "

     "याद करके उसको और भी तकलीफ होती है मुझे,
       भूल जाने के सिवा अब और कोई चारा न था" 
















Monday 7 March 2016

शबनम


            "कभी गुंचा, कभी शोला, कभी शबनम की तरह ,
             लोग मिलते है बदलते हुए मौसम की तरह" 

              "मेरे महबूब मेरे प्यार को इलज़ाम न दे ,
               हिज्र में ख़ुशी भी  मनाई है ग़मों की तरह "

             "मैंने खुशबू की तरह तुझ को किया है महसूस,
               दिल ने चाहा है तेरी याद को शबनम की तरह "

                 "कैसे हमदर्द हो तुम ,कैसे मसीहा हो तुम 
                  दिल पे नश्तर भी लगाते हो मरहम की तरह"