Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday 19 June 2016
दूरियां
"दो जवां दिलो का ग़म दूरियां समझती हैं
कौन याद करता है हिचकियाँ समझती हैं"
"तुम तो खुद ही क़ातिल हो तुम ये बात क्या जानो
क्यों हुआ मै दीवाना बेड़ियां समझती हैं"
"यूं तो सैर ए गुलशन को कितने लोग आते हैं
फूल कौन तोड़ेगा डालियां समझती हैं "
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