Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday, 1 May 2016
उदास
" है अख्तियार में तेरे तो मोजिज़ा कर दे,
वो शख्स मेरा नहीं है उसे मेरा कर दे "
"ये रेत ज़ार कहीं ख़त्म ही नहीं होता
ज़रा सी दूर तो रस्ता हरा भरा कर दे"
"अकेली शाम बहोत जी उदास करती है
किसी को भेज दो कोई मेरा हम नवा कर दे"
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