Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Wednesday, 12 September 2012
"जख्म जब जब नए लगे होंगे,
दर्द के हौसले बड़े होंगे"
मेरे हमराह ग़म के लम्हे भी,
दो क़दम चल के थक गए होंगे"
"हम यहाँ मिल रहे हैं छुप छुप कर,
रास्ते राह तक रहें होंगे"
"उनको पाकर भी न पाएगे खुद को,
कुरबतों में भी फासले होंगे।"
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