Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Friday, 7 September 2012
'धडकनों से रूह से आगे भी जाके देख ले,
जो नहीं देखा किसी ने हम वो मंज़र देख ले"
"जिन पे सदियों से चले ही जा रहे है कारवा
उस पुरानी राह से हम कुछ तो हटकर देख ले"
"सच तो ये है एक आँसू में समंदर है कई,
सच नहीं लगता है तो आँसू बहा कर देख ले।"
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