Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Thursday, 4 October 2012
गिला
"
जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना"
"यूं उजालों से वास्ता रखना
शमा के पास ही हवा रखना"
"घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना"
"मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने ज़ुलने का हौसला रखना"
- निदा फ़ाज़ली.
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