Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Wednesday, 28 November 2012
ज़िन्दगी
"कोई तेरा है और न मेरा है
ज़िन्दगी चार दिन का डेरा है"
"गुज़री बातों को भूल जाओ अब
रात के बाद फिर सवेरा है"
"ये ज़माना है सिर्फ पैसे का
मै किसी का न कोई मेरा है"
"क्या तमन्ना करें ख़ुशी की सदफ
हर तरफ दूर तक अँधेरा है।"
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment