Sunday, 28 July 2013

इबादत


"दिल में अब दर्दे मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं 
ज़िन्दगी मेरी इबादत के सिवा कुछ भी नहीं" 

"मै तेरी बारगाहे नाज़ में क्या पेश करूँ 
मेरी झोली में मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं" 

"ऐ खुदा मुझसे न ले मेरे गुनाहों का हिसाब 
मेरे पास अश्के नदामत के सिवा कुछ भी नहीं"

"Dil me ab dard-e-muhabbat ke siva kuchh bhi nahi
zindagi meri ibaadat ke siva kuchh bhi nahi" 

"mai teri bar-gahe-naaz me kya pesh karu
merii jholi me muhabbat ke siva kuchh bhi nahi"
"ae khuda mujhse na le mere gunahon ka hisaab
mere paas ashq-e-nadamat ke siva kuchh bhi nahi "











Thursday, 25 July 2013

गिला


"आप को भूल जाएं हम इतने तो बेवफा नहीं 
आप से क्या गिला करे आप से कुछ गिला नहीं"

"शीशाए दिल को तोडना तो उनका तो एक खेल है 
हमसे ही भूल हो गयी उनकी कोई खता नहीं" 

"काश वो अपने ग़म देदे तो कुछ सुकून मिले 
वो कितना बदनसीब है ग़म जिसे मिला नहीं"  

"aap ko bhool jaayen ham itne to bevafa nahi
aap se kya gila kare aap se kuchh gila nahi" 

"shisha-e-dil ko todna unka to ek khel hai
hamse hi bhool ho gaee unki koi khata nahin"
 
"kash vo apne gham mujhe de de to kuchh sukun mile
vo kitana badnasib hai Gham hi jise mila nahi." 








Saturday, 13 July 2013

अश्क



"ये हुस्ने राज़ मुहब्बत छुपा रहा है कोई 
है अश्क आँखों में और मुस्कुरा रहा है कोई" 

"नज़र नज़र में तजल्ली दिखा रहा है कोई 
नफज नफ़ज पे मुझे याद आ रहा है कोई"

"ये हुस्न ओ इश्क की तस्वीर के है दो मंज़र 
कि  रो रहा है कोई मुस्कुरा रहा है कोई"  

ye husn-e-raaz muhabbat chhupa raha hai koi 
hai ashk aankho me aur muskuraa raha hai koi 
 
nazar nazar me tajalli dikha raha hai koi 
nafaz nafaz pe mujhe yaad aa raha hai koi 


ye husn-o-ishq ki tasvir ke hai do manzar 
ki ro rahaa hai koi muskura raha hai koi 

















Friday, 5 July 2013

बात


                      "दिल जलाने  की बात करते हो 
                       आशियाने की बात करते हो 
                      
              "हमको अपनी खबर नहीं यारों
              तुम ज़माने की बात करते हो"

                       "सारी दुनिया के रंजो ग़म देकर 
                        मुस्कुराने की बात करते हो"

             "ज़िक्र मेरा सुना तो चिढ़ के कहा
               किस दीवाने की बात करते हो"