Sunday, 28 July 2013

इबादत


"दिल में अब दर्दे मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं 
ज़िन्दगी मेरी इबादत के सिवा कुछ भी नहीं" 

"मै तेरी बारगाहे नाज़ में क्या पेश करूँ 
मेरी झोली में मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं" 

"ऐ खुदा मुझसे न ले मेरे गुनाहों का हिसाब 
मेरे पास अश्के नदामत के सिवा कुछ भी नहीं"

"Dil me ab dard-e-muhabbat ke siva kuchh bhi nahi
zindagi meri ibaadat ke siva kuchh bhi nahi" 

"mai teri bar-gahe-naaz me kya pesh karu
merii jholi me muhabbat ke siva kuchh bhi nahi"
"ae khuda mujhse na le mere gunahon ka hisaab
mere paas ashq-e-nadamat ke siva kuchh bhi nahi "











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