ग़म देना मालूम है ग़म की दवा मालूम नहीं"
"जिन की गली में उम्र गवा दी जीवन भर हैरा रहे,
पास भी आके पास न आए जान के भी अनजान रहे,
कौन सी हमने की थी ऐसी खता मालूम नहीं "
"ऐ मेरे पागल अरमानो झूठे बंधन तोड़ भी दो,
ऐ मेरी ज़ख़्मी उम्मीदों दिल का दामन छोड़ भी दो,
तुम को अभी इस नगरी में जीने की सजा मालूम नहीं"
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