Wednesday 21 August 2013

उम्मीद


"क्या उम्मीद करे हम उनसे जिनको वफ़ा मालूम नहीं, 
ग़म देना मालूम है ग़म की दवा मालूम नहीं"

"जिन की गली में उम्र गवा दी जीवन भर हैरा रहे,
पास भी आके पास न आए जान के भी अनजान रहे, 
कौन सी हमने की थी ऐसी खता मालूम नहीं "

"ऐ मेरे पागल अरमानो झूठे बंधन तोड़ भी दो,
ऐ मेरी ज़ख़्मी उम्मीदों दिल का दामन छोड़ भी दो,
तुम को अभी इस नगरी में जीने की सजा मालूम  नहीं"    






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