"मै जहाँ तुम को बुलाऊँ वहाँ तक आओ
मेरी नज़रों से गुज़र कर दिलोजान तक आओ "
"फिर ये देखो कि ज़माने की हवा है कैसी
साथ मेरे ,मेरे फिरदौस ए जवां तक आओ"
"फूल के गिर्द फिरो बाग़ में मानिंद- ए- नसीम
मिस्ले परवाना किसे शामे तपन तक आओ"
mai jahan tum ko bulata hoon vaha tak aao
meri nazaro se guzar kar dil-o-jaan tak aao
phir ye dekho ki zamaane ki hava hai kaisi
saath mere mere firdaus-e-java tak aao
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