Tuesday, 28 January 2014

गुलबदन


"बहारों  को चमन याद आ गया है ,
मुझे  वो गुलबदन याद आ गया है"

"लचकती शाख ने जब सर उठाया 
किसी का बाँकपन याद आ गया है" 

"मेरी खामोशियों पर हसने वालों  
मुझको वो कमसुखन याद आ गया है"

"तेरी सूरत को जब से देखा है मैंने
उरूजे फिकरो फन  याद आ गया है"  
    













Monday, 13 January 2014

क़यामत


"वो बुलाए तो क्या क़यामत हो"
 हम न जाए तो क्या क़यामत हो"


"वो किनारो से खेलने वाले 
डूब जाए तो क्या क़यामत हो"


"बंदा परवर जो हम पे गुज़री है
हम बताए तो क्या क़यामत हो"


"आज हम भी तेरी वफाओं पर 
मुस्कुराएं तो क्या क़यामत हो"


"तेरी सूरत जो इत्तेफ़ाक़ से हम 
भूल जाएं तो क्या क़यामत हो" 
   














Monday, 6 January 2014

अफसाना




"कहते हैं मुझसे इश्क़ का अफसाना चाहिए, 
रुसवाई हो गई तुम्हे शर्माना चाहिए"

"आशिक़बगैर हुस्न ओ जवानी फ़िज़ूल है, 
  जब शम्मा जल रही है तो परवाना  चाहिए"

 "आँखों में दम रुका  है किसी के  लिए ज़रूर,
वर्ना मरीज़े हिजर को मर जाना चाहिए"

"वादा था उनके रात के आने का ऐ क़मर,
अब चाँद छुप गया उन्हें आ जाना चाहिए "

kahate hai mujhse ishq ka afasana chahiye
rusavaee ho gai tumhe sharmana chahiye 


aashiq bagair husn-o-javani fizul hai
jab shamma jal rahi hai to paravana chahiye
aankho me dam ruka hai kisi ke liye zarur
varnaa marize hijr ko mar jana chahiye 

vaada tha unke raat ke aane ka ae "Qamar"
ab chaand chhup gaya unhe aa jaana chaahiye