"अम्न का जो पैग़ाम सुनाने वाले हैं वो गलियों में आग लगाने वाले हैँ " "तुम ले जाओ अपनी नेज़ा ,खंजर और तलवार, हम तो सिर्फ प्यार मोहब्बत बाटने वाले हैं" "ज़ुल्म के काले बादल से डरना कैसा , ये मौसम तो आने जाने वाले हैं " "आम आदमी का अब तो ख़ुदा ही है हाफ़िज़ सारे मसीहा नफरत का ज़हर पिलाने वाले हैं" "माल बनाने वाले तो सब है लेकिन सोचो अब कितने ईमान बचाने वाले है"
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Saturday, 11 October 2014
पैग़ाम
Saturday, 4 October 2014
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