Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Saturday, 4 October 2014
सावन
"आया सावन लेके घटाएँ मुझे बुलाने के लिये,
वो फिर भी न आए मुझसे मिलने के लिये"
"रात भर करता रहा मै उनका यूँही इंतेज़ार ,
वो किसी और की बाहों में कर रहीं थी आराम "
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