Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Saturday, 7 February 2015
शौक
"
हमें है शौक उनको पास बुलाने क़ी ,
उन्हें भी है ज़िद है न पास आने क़ी "
"ज़माने यूँ ही गुज़र जायेंगे उनको देखे बिना
मगर उन्हों ने कभी की ही नहीं परवाह इसकी"
" कभी मिल जाएंगे उनसे अचानक रस्ते मे
याद आ जाएँगी बेरुखी उनकी एक लम्हे मे"
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