Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday, 20 September 2015
अफ़साना
"रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो
आँख सच बोलती है प्यार छुपाया न करो"
"लोग हर बात को अफ़साना बना लेते हैं
सब को हालात के बारे में बताया न करो "
"ये ज़रूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो ,
प्यार के ज़ख्म अमानत है दिखाया न करो "
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