Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday, 31 January 2016
पयाम ए मोहब्बत
"तुम चुप रहे पयाम ए मोहब्बत यही तो है
आँखें झुकी रहीं क़यामत यही तो है "
"महफ़िल में लोग चौक पड़े मेरे नाम पर
तुम मुस्कुरा दिए मेरी कीमत यही तो है "
"तुम पूछते हो तुमने शिकायत भी की कभी
सच पूछिए तो मुझको शिकायत यही तो है "
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