"कभी गुंचा, कभी शोला, कभी शबनम की तरह ,
लोग मिलते है बदलते हुए मौसम की तरह"
"मेरे महबूब मेरे प्यार को इलज़ाम न दे ,
हिज्र में ख़ुशी भी मनाई है ग़मों की तरह "
"मैंने खुशबू की तरह तुझ को किया है महसूस,
दिल ने चाहा है तेरी याद को शबनम की तरह "
"कैसे हमदर्द हो तुम ,कैसे मसीहा हो तुम
दिल पे नश्तर भी लगाते हो मरहम की तरह"
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