Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday, 15 January 2017
महक
"तेरे आने की जब खबर महके
तेरे खुशबू से सारा घर महके "
"शाम महके तेरे तसव्वुर से
शाम के बाद फिर शहर महके "
"रात भर सोचता रहा तुझ को
ज़हनोदिल मेरा रात भर महके"
"वो घडी दो घडी जहाँ बैठे
वो ज़मी महके वो शजर महके"
HAPPY NEW YEAR TO YOU ALL
1 comment:
SADAF
29 August 2018 at 10:26
Very nice ghazal.
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Very nice ghazal.
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