Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Monday, 10 September 2012
कातिल
"अब कौन है जो शहर में कातिल नहीं रहा,
हम राज़ भी यकीं के काबिल नहीं रहा"
"यह बात औरआज वो धनवान बन गया,
कल रहजनो के साथ वो शामिल नहीं रहा"
"दौलत खरीद लेती है मंसब का फैसला,
कातिल जो था वो देख लो कातिल नहीं रहा"
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