Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Saturday, 29 September 2012
तूफ़ान
"काश तूफ़ान में सफीने को उतारा होता
डूब जाता भी तो मौजो ने उभारा होता"
" हम तो साहिल का तस्वीर भी बना सकते थे
लबे साहिल से जो हल्का सा इशारा होता"
" तुम वाकिफ़ न थीं आदाब जफ़ा से वरना
हमने हर ज़ुल्म को हस-हस के सहा होता"
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