Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Saturday, 8 September 2012
"उनकी महफ़िल में जाना नहीं था मगर,
मेरा इश्के जूनून, जान कर ले गया"
" जब भी टूटे खिलोने नज़र आ गए,
मेरा माजी न जाने किधर ले गया"
" जिस जगह पर न पहोचे थे खवाब व ख्याल,
उस जगह पर मुझको इल्म व हुनर ले गया"
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