Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday, 16 September 2012
"सजा सजा के रखा जिनको आइनो की तरह,
गिरे नज़र से तो बिखरे है किर्चियो की तरह"
" बिखर गए तो समेटा न ज़िन्दगी ने हमें
निखर गए तो दमकते हैं मोतियों की तरह "
" यही ख़िराज है अपना किसी का दिल न दुखे
जुदाइयों को भी चाहा कुर्बतों की तरह"
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