" लौट कर शहर से जब आएगा,
मेरा महबूब मुझको भाएगा"
" दूरियां जितनी होगी उल्फत में,
इश्क़ उतना ही रंग लाएगा"
" उसका आलम न जाने क्या होगा,
जब क़रीब अपने तुझको पाएगा "
" यह हकीक़त है रूठ जाऊंगा,
लब पर जब नाम गैर आएगा"
"LAUT KAR SHAHER SE JAB AAEGA
MERA MAHBOOB MUJHKO BHAEGA"
"DOORIYAN JITNI HOGI ULFAT ME
ISHQ UTNA HI RANG LAAEGA"
"USKA AALAM NA JAANE KYA HOGA
JAB KAREEB APNE TUJHKO PAAEGA"
"YE HAQEEQAT HAI ROOTH JAOONGA
LAB PAR JAB NAAM GAIR AAEGA"
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