Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Wednesday, 26 September 2012
ग़म
"अब कहाँ जी को हम लगाएगे,
बिन तेरे जी कभी न पाएंगे"
"लोग पूछेंगे जब सबब ग़म का,
ये बताओ की क्या बताएँगे"
"ज़िक्र आएगा जब कभी तेरा,
अश्क किस तरहा हम छिपाएँगे"
"साथ तो छोड़ आए हैं तेरा,
किस तरह से भला भुलाएँगे"
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