Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Wednesday, 12 September 2012
"बाद मुद्दत उसे देखा लोगो,
वो ज़रा भी नहीं बदला लोगो"
"खुश न था मुझसे बिछड़ कर वो भी,
उस के चेहरे पे लिखा था लोगों"
"उसकी आखेँ भी कहे देती थी,
रात भर वो भी न सोया लोगों"
"अजनबी बनके जो गुज़रा है अभी,
था किसी वक़्त में अपना लोगो"
1 comment:
SADAF
15 October 2012 at 08:58
behetreen shayar ki behetreen sher.
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