हर तरफ़ अपने को बिखरा पाओगे,
आईनों को तोड के पछताओगे।
जब बदी के फूल महकेंगे यहाँ,
नेकियों पर अपने तुम शरमाओगे।
सच को पहले लफ़्ज फिर लब देंगे हम
,
तुम हमेशा झूठ को झूठलाओगे।
सारी सिमते बेकशिश हो जायेगी,
घूम फिर के फिर यही आ जाओगे।
रूह की दीवार के गिरने के बाद,
बे बदन हो जाओगे, मर जाओगे।
No comments:
Post a Comment