Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Saturday, 10 November 2012
ज़िंदगी
"
आ भी जाओ की ज़िंदगी कम है
तुम नहीं हो तो हर ख़ुशी कम है"
"वादा कर के ये कौन आया नहीं
शहर में आज रौशनी कम है"
"जाने क्या हो गया है मौसम को
धूप ज़ियादा है चांदनी कम है"
"आईना देख कर ख़याल आया
आज कल इनकी दोस्ती कम है"
"तेरे दम से ही मैं मुकम्मल हूं
बिन तेरे तेरी हर याद कम
है".
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment