Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday, 16 December 2012
होंठ
"एक दर्द बेपनाह को होंठों पे लाए है
दुनिया समझ रही है हम मुस्कराए है"
"मैंने जिन आसुओं को जहाँ से छुपाए है
बनकर हँसी वही मेरे होंठों पे आए है"
"आने को आप याद तो हमको भी आए है
लेकिन जब अपने आप को हम भूल जाए है"
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