Saturday, 15 December 2012

मंज़र


"मंज़र बड़े अजीब थे हैरान कर गए 
टकराए आईनों से तो पत्थर बिखर गए" 

"सहमे हुए थे इतने अंधेरो के खौफ से 
कुछ लोग दिन के वक़्त उजालों से डर गए"

"कागज़ की एक नाव पड़ी थी कही सदफ 
दरिया के पार हम तो उसी नाव से गए" 

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