Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Tuesday, 15 January 2013
निगाह
"साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते है
मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं"
"एक तस्वीर-ए - मोहब्बत है जवानी गोया
जिसमे रंगों की एवज़ खून-ए -जिगर भरते हैं"
"आसमा से कभी देखी न गयी अपनी ख़ुशी
अब ये हालात हैं कि हम हँसते हुए डरते हैं"
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