Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Tuesday, 8 January 2013
मुद्दत
"इतनी मुद्दत बाद मिले हो,
किन सोच में रहते हो"
"तेज़ हवा ने मुझ से पुछा,
रेत पे क्या लिखते रहते हो"
"कौन सी बात है तुम में ऐसी,
इतने अच्छे क्यों लगते हो"
" हम से न पूछो हिज्र के किस्से,
अपनी कहो अब तुम कैसे हो।"
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