Wednesday, 9 January 2013

ग़ज़ल




"हम ग़ज़ल में तेरा चर्चा नहीं होने देते, 
 तेरी यादों को भी रुसवा नहीं होने देते "

"कुछ तो हम खुद भी नहीं चाहते शोहरत अपनी, 

 और कुछ लोग भी ऐसा नहीं होने देते" 

"अजमतें अपने चरागों की बचाने के लिए,

 हम किसी घर में उजाला नहीं होने देते "

"मुझको थकने नहीं देता ये ज़रुरत का पहाड, 

 मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते"











2 comments:

  1. mai na shayar hu na kavi. Isliye shayad sahi tareef na kar pau. Par itna zaroor kahunga 'bohat khoob kaha aapne..' ..

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