Sunday, 27 January 2013

साया


"देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला ,
सोचा तो हर किसी से मेरा सिलसिला मिला"

शहरे वफ़ा में अब किसे अहले वफ़ा कहें, 
हमसे गले मिला तो वो ही बेवफा मिला 

फुर्सत किसे थी जो मेरे हालत पूछता, 
हर शख्स अपने बारे में कुछ सोचता मिला 

उस ने तो खैर अपनों से मोड़ा था मुंह हाए,
मैंने ये क्या किया की गैरों से जा मिला"




dekhaa to meraa saayaa bhii mujh se judaa milaa 
sochaa to har kisii se meraa silsilaa milaa 
 
shahar-e-vafaa mein ab kise ahal-e-vafaa kahe 
ham se gale milaa to vo hii bevafaa milaa 

fursat kise thii jo merii haalaat puuchhataa 
har shakhs apane baare me kuchh sochataa milaa 

usne to Khair apano se modaa thaa munh haaye 
mai ne ye kyaa kiyaa ke mai Gairon se jaa mila







a 



No comments:

Post a Comment