Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday, 17 March 2013
आँसू
"कभी आँसू कभी ख़ुशी बेचीं,
हम गरीबो ने बेकसी बेचीं "
"चंद साँसे खरीदने के लिए
रोज़ थोड़ी सी ज़िन्दगी बेचीं "
"एक हम थे बिक गए खुद ही
वर्ना दुनिया ने दोस्ती बेचीं"
"'जब रुलाने लगे मुझे साए
मैंने उकता के रौशनी बेचीं "
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