"तड़पते है न रोते है न फ़रियाद करते है
सनम की याद में हरदम खुदा को याद करते है"
"उन्ही के इश्क में हम रात दिन फ़रियाद करते हैं
इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते है"
"शबे फ़ुर्क़त में क्या क्या सांप लहराते है सीने पर
तुम्हारी लहराती हुई जुल्फों को जब हम याद करते है"
tadapte hai na rote hai na ham fariyad karate hai
sanam ki yaad me har-dam Khuda ko yaad karate hai
unhi ke ishq me ham raat din fariyad karate hai
ilaahi dekhiye kis din hame vo yaad karate hai
shab-e-furqat me kyaa kyaa saanp laharate hai seene par
tumhari lahraati hui zulfo ko jab ham yaad karate hai
[shab-e-furqat = night of separation]
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