Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Wednesday, 17 April 2013
देर
"आग हो तो जलने में देर कितनी लगती है
बर्फ के पिघलने में देर कितनी लगती है"
"चाहे कोई जैसा भी हमसफ़र हो सदियों से
रास्ता बदलने में देर कितनी लगती है"
"ये तो खुदा के बस में है कि कितनी मोहलत दे
वर्ना साँसों को रोकने में उसे देर कितनी लगती है"
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