मौजिज़ा
"है इख्तियार में तेरे तो मौजिज़ा कर दे
वो शख्स मेरा नहीं है उसे मेरा कर दे "
"मैं उसके जौर को देखूं वो मेरा सब्रो सुकून
मुझे चराग बना दे उसे हवा कर दे"
"अकेली शाम बहोत जी उदास करती है
किसी को भेज कोई मेरा हमनवा कर दे"
"ये रेत जार कहीं ख़त्म ही नहीं होता
ज़रा सी दूर तो रस्ता हरा भरा कर दे"
No comments:
Post a Comment