Sunday, 29 December 2013

अश्क



"रातों में गर न अश्क बहाऊँ तो क्या करूँ 
एक पल भी उसको न भुला पाऊँ तो क्या करूँ" 

"मैंने सुना है उनको अंधरे नहीं पसंद

राहों में अब मैं दिल न जलाऊं तो क्या करूँ"

"तुम्ही कहो कि छोड़ दे जब ज़िन्दगी भी साथ 

फिर मौत को गले न लगाऊं तो क्या करूँ"

"सोचा तो था कि छोड़ दूं उसकी गली अभी  
लेकिन कहीं क़रार न पाऊँ तो क्या करूँ"   













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