Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Thursday, 5 December 2013
रेत
"रेत पर लिख कर मेरा नाम मिटाया न करो
आँखें सच बोलती है प्यार छुपाया न करो"
"लोग हर बात का अफसाना बना लेते है
सबको हालात की रूदाद सुनाया न करो"
"ये ज़रूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो
प्यार के ज़ख्म अमानत है दिखाया न करो "
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