Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Saturday, 5 September 2015
डगर
"ना कोई रास्ता न कोई डगर है यहाँ ,
मगर क़िस्मत में सबकी सफर है यहाँ"
"सुनाई देंगी न उनको मेरे दिल की सदा
दिमाग में उनके बसा है कोई और यहाँ "
"पकड़ के ऊगली उनकी कहीं दूर चलें
रास्ता ये ही लगता है मुझको मोतबर यहाँ"
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