Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Friday, 24 August 2012
शब
"आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी.
रात गहरी है मगर चाँद चमकता है अभी,
"मेरे माथे पे तेरा प्यार दमकता है अभी .
मेरी साँसों में तेरा लम्स महकताहै अभी" .
"मेरे सीने में तेरा नाम धड़कता है अभी,
जीस्त करने को मेरे पास बहोत कुछ है अभी"
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