कितना हसीन दुनिया का मंज़र दिखाई दे, मतलब से कोईभी नहीं हटकर दिखाई दे" घर से निकल के राह में चलना मुहाल है, इंसान क़दम क़दम पे सितमगर दिखाई दे" "कैसे कहूँ जहाँ में अँधेरा है हर तरफ़, हर सिम्त मुझको जलता हुआ घर दिखाई दे" दे दे न कोई ज़ख्म दिल को इस घड़ी, एजाज़ की जब हालत तुम्हे बेहतर दिखाई दे"
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