Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Monday, 10 December 2012
खुशबू
"अब के रुत बदली तो खुशबू का सफ़र देखेगा कौन,
ज़ख्म फूलों की महकेंगे पर देखेगा कौन"
"वो हवस हो या वफ़ा हो बात महरूमी की है,
लोग तो फल फूल देखेंगे शजर देखेगा कौन"
"हम चरागे ही जब ठहरे तो फिर क्या सोचना,
रात थी किसका मुक़द्दर और सहर देखेगा कौन"
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