Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Wednesday, 12 December 2012
नज़र
"उसने न की अंधेरों पे मेरे कभी नज़र,
जिसके लिए चरागे दिले जा जला दिया"
"टुकड़े हज़ार करके मेरे दिल के ऐ हुज़ूर,
अच्छा मेरी वफाओं का तूने सिला दिया"
"सोया न जिसके वास्ते सदफ मै रात भर,
उसने मेरा नसीब जगा कर सुला दिया"
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