Friday, 14 December 2012

ख्वाब


"ख्वाब अधूरे भी कितने सुहाने लगे 
होश में आते आते ज़माने लगे"

"रात कैसी कटी जब गुलों से कहा

अश्क दामन में थे मुस्कराने लगे" 

"आँख होती रही नम ख़ुशी के लिए

मुस्कुराए तो ग़म याद आने लगे" 

"ग़म को सहने की आदत सितम हो गयी 

खुद बा खुद हम तो दिल को सताने लगे" 

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