Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Thursday, 20 December 2012
मौसम सुहाना
"फिर हमें उनको मनाना आ गया,
लीजिये मौसम सुहाना आ गया"
"बन गया मै भी अब मुकम्मल इंसान,
दोस्ती मुझ को उनसे निभाना आगया"
"बेवफ़ा है कौन मुझको नहीं मालूम,
चोट खाकर भी मुस्कुराना आ गया"।
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